पटना, 27 अक्टूबर, आई.आई.बी.एम. सभागार में साहित्यिक संस्था “आयाम – साहित्य का स्त्री स्वर” द्वारा हिन्दी और उर्दू की प्रसिद्ध साहित्यकार डा. शहनाज फातमी के साहित्य पर परिचर्चा आयोजित की गई. अवकाश प्राप्त प्रोफेसर, डा. शहनाज फातमी ने सात उपन्यास, एक कहानी संग्रह, अंग्रेज़ी में एक किताब लिखने के साथ उर्दू से अनेक किताबों को हिन्दी में रूपाँणतरित किया है. साहित्य इन्हें विरासत में मिला है. वरिष्ठ साहित्यकार पद्मश्री उषा किरण खान की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि प्रो.पूनम सिन्हा , मुख्य अतिथि रेखा मिश्र , वक्ता भूपेन्द्र कलसी , ध्रुव गुप्त , आयाम की ओर से मंगला रानी और रानी सुमिता ने शहनाज फातमी जी के उपन्यासों का पैना और गहन विवेचन किया.
संस्था की अध्यक्ष उषा किरण खान जो शहनाज जी के लेखकीय सफर की साक्षी रही हैं ने लोगों से गुजारिश की कि शहनाज फातमी जी के अभूतपूर्व साहित्य को अवश्य पढ़ें. अपने लेखकीय वक्तव्य में डा. फातमी ने अपने साहित्यिक सफर के प्रेरणास्रोत रहें सभी सहयोगियों को ह्रदय से याद किया और अपने लेखकीय मनोविज्ञान पर गहन प्रकाश डाला. साथ ही उन्होंने साम्प्रदायिक सौहार्द पर अपना ताजातरीन उपन्यास “दिन जो पखेरू होते” का विशेष रूप से चर्चा की और हिन्दू -मुस्लिम एकता पर लिखे इस उपन्यास को सच्ची घटना से प्रेरित बताया और ऐसे ही समय की कामना की. उन्होंने श्रोताओं द्वारा कहानी तथा पात्रों के संदर्भ में पूछे गये प्रश्नों का उत्तर भी दिया.
संस्था की अध्यक्ष पद्मश्री उषा किरण खान से जब ‘बोलो ज़िन्दगी’ ने पूछा कि “‘आयाम’ को स्थापित करने के पीछे क्या वजह रही ?” तब उषा किरण जी ने बताया कि “मैं चाहती थी कि वैसी लेखिकाएं जो ज्यादा वक़्त घर-गृहस्थी में बिताती हैं, जो झिझक और आत्मविश्वास की कमी की वजह से जल्दी बाहर नहीं निकल पातीं, जिनको चाहकर भी सही अवसर नहीं मिल पाता उन्हें मैं एक ऐसा प्लेटफॉर्म दूँ ताकि उनकी छुपी हुई प्रतिभा प्रदर्शित हो सके. साथ-ही-साथ उनका आत्मविश्वास बढ़ सके और वो सही मायने में सशक्त हों. इसी उद्देश्य को लेकर ‘आयाम-साहित्य का स्त्री स्वर’ की स्थापना हुई. अब हमारी आगामी योजना है कि ‘आयाम’ की तरफ से एक पत्रिका का भी प्रकाशन हो जिसमे संस्था से जुड़ी महिलाओं की रचनाओं को महत्व दिया जाये.”
इस कार्यक्रम में प्रसिद्ध साहित्यकार ध्रुव गुप्त, शिवदयाल जी, ह्षिकेश पाठक,निलांशु रंजन ,शाहिद जमील के साथ दूरदर्शन की निदेशक रत्ना पुरकायस्थ एवं शहर के गणमान्य साहित्यकार एवं विद्वतजन शामिल हुये. कार्यक्रम का संचालन रानी सुमिता और धन्यवाद ज्ञापन भावना शेखर ने किया. ‘आयाम’ के सक्रिय सदस्यों सविता सिंह नेपाली, विभा रानी श्रीवास्तव , शाँति शर्मा , आभा रानी ,सुनीता गुप्ता , ज्योति स्पर्श , उषा ओझा , कल्याणी कुसुम , सुमन सिन्हा , प्रियंका ने कार्यक्रम को सफल बनाने में अहम भागीदारी निभाई. वहीँ संस्था की अध्यक्ष उषा किरण खान जी ने अपना कीमती वक़्त निकालकर दूसरे जिलों से इस आयोजन में भाग लेने आये हुए सदस्यों एवं अतिथियों को धन्यवाद दिया.