By: Rakesh Singh ‘Sonu’
आज छोटे शहरों -कस्बों में बड़े पैमाने पर मॉडलिंग कॉन्टेस्ट कराये जा रहे हैं. शो के विज्ञापनों में गोल्डन कैरियर कहकर सब्जबाग दिखाए जा रहे हैं. जीत जाने पर फिल्मों- धारावाहिकों में बतौर एक्टर चांस देने के वायदे के साथ कई युवा लड़के लड़कियों को अट्रैक्ट किया जाता है. लेकिन कुछ एक संसथान ही कसौटी पर खरा उतर पाते हैं. ऐसे में यह सवाल लाज़मी हो जाता है कि क्या वाकई छोटे शहरों में मॉडलिंग कॉन्टेस्ट टैलेंट निखारने का एक प्लेटफॉर्म है या फिर महज बिजनेस ? तो आइये जानते हैं इस विषय पर लोगों के क्या मत हैं…..
साक्षी प्रिया, मॉडल – छोटे शहरों में पहले मॉडलिंग कॉन्टेस्ट नहीं होता था क्यूंकि लोगों की सोच वैसी नहीं थी. जैसे जैसे लोगों की सोच आगे बढ़ी है वैसे वैसे गर्ल्स बॉयज़ मॉडलिंग को लेकर क्रेज़ी हुए हैं. छोटे शहर के गर्ल्स बॉयज़ को मौका नहीं मिलता था कि शुरुआत कहाँ से करें. लेकिन सही मायने में शुरुआत तो स्मॉल टाउन से ही होती है. कुछ लोग इसे बिज़नेस का अच्छा प्लेटफॉर्म मानते हैं तो कुछ लोग कैरियर का. लेकिन हम मॉडल्स को जो स्मॉल टाउन से सीखने को मिलता है वो बिग टाउन से कभी नहीं मिलता. मैंने खुद पटना में काफी शो किये हैं और मुझे पटना से काफी कुछ सीखने को मिला है.
दीनू मिश्रा, मॉडल – पहले केवल बड़े शहरों में ही लोग मॉडलिंग के बारे में जाना करते थे लेकिन आज के वक़्त में हर जगह शो हो रहा है. मैंने भी मॉडलिंग का करियर 2010 में पटना से स्टार्ट किया. बहुत सारे कॉम्पटीशन में हिस्सा भी लिया और कई प्रोफेशनल शो भी किया. लेकिन पटना में कुछ ज्यादा स्कोप नहीं दिखा क्यूंकि यहाँ बहुत से मॉडलिंग कॉन्टेस्ट ऐसे होते हैं जिसमे सबकुछ पहले से डिसाइड होता है कि विनर कौन होगा तो सेकेण्ड कौन आएगा. कई प्रोफेशनल शो में तो हमे पैसे तक नहीं मिलते. जिसके कारण अब बहुत से युवाओं का ध्यान इस सेक्टर से हट रहा है. कुछ लोग छोटे शहरों में कला को व्यापार बना दिए हैं. अगर मॉडलिंग फिल्ड में ही युवाओं को अपना कैरियर बनाना है तो वह दिल्ली,मुंबई जाकर ट्राई करें क्यूंकि वहां पर टैलेंट देखा जाता है किसी की सिफारिश नहीं.
अशोक सुधाकर, निदेशक,आदित्य इंटरनेशनल मॉडलिंग इंस्टीच्यूट – छोटे शहरों में जो मॉडलिंग या फैशन इवेंट होता है उसके जो भी आयोजक होते हैं वो एक्सपर्ट नहीं होते हैं. और इस वजह से उन्हें मॉडलिंग की व्यवस्था की सही जानकारी का आभाव रहता है . मॉडल्स की औसत हाइट और पर्स्नालिटी क्या होनी चाहिए इससे कोई सरोकार नहीं रखते. बस रैंप पर कैटवॉक कर लेने को मॉडलिंग समझ लिया जाता है.कोई भी कॉन्टेस्ट में भाग लेनेवाले लड़के लड़कियां सही तरह से जांच परख नहीं करते. आयोजक भी व्यावसायिकता पर अधिक ध्यान देता है, जजमेंट पैनल में जो लोग होते हैं वो या तो मॉडलिंग से सम्बंधित नहीं होते हैं या फिर इसकी उन्हें जानकारी नहीं होती.किसी दूसरे विंग के लोगों से जजमेंट कराया जाता है जिससे टैलेंटेड बंदा छट जाता है और जो पीछे है वो आगे हो जाता है. इस वजह से अच्छे टैलेंट भी हीन भावना के शिकार हो जाते हैं. मॉडलिंग या फैशन इवेंट की जो भी बदनामी हो रही है उसका मूल कारण यही है.
डिम्पल सिन्हा, अभिनेत्री – छोटे शहरों में भी मॉडलिंग कॉन्टेस्ट का होना सही है मगर वो आगे तक जाये तब. अगर वो वहीँ तक रह जाता है जहाँ से वो शुरू हुआ है तो वो सिर्फ दिखावा है और कुछ नहीं. ऐसे में रियल टैलेंट आगे नहीं आ पता है और वो वहीँ तक रुक जाता है या फिर भटकाव का शिकार हो जाता है. इसलिए जो भी मॉडल या एक्टर, एक्ट्रेस हैं वो ऐसे छोटे मोटे शो की जांच पड़ताल करके ही पार्टिसिपेट करें. ताकि वे खुद ठगे जाने और अपने करियर को गर्त में जाने से वक़्त रहते बचा सकते हैं.
मनीष चंद्रेश, फैशन कोरियोग्राफर – आजकल देखा जा रहा है कि छोटे छोटे शहरों में बहुत सी छोटी एजेंसियां मॉडलिंग कॉन्टेस्ट ऑर्गनाइस करती हैं जिनमे बहुत से लड़के -लड़कियां पार्टिशिपेट करते हैं. उन्हें पता नहीं होता है कि कहाँ जाना चाहिए और इस फिल्ड में क्या करना चाहिए. तो उन्हें जैसे ही न्यूज़ मिलता है कि एक मॉडलिंग कॉन्टेस्ट होने जा रहा है वो बिना कुछ जांचे परखे कुछ पैसे देकर फॉर्म भर देते हैं.जबकि उन्हें पहले ये पता करना चाहिए कि कॉन्टेस्ट करा रही एजेंसी कैसी और कितनी पुरानी है, उसमे कैसे लोग जुड़े हुए हैं एवं इससे पहले क्या उसने किसी को अच्छा प्लेटफॉर्म दिया है. गलत जगह चले जाने पर एक तो उनके पैसे खर्च होते हैं, उन्हें ठीक से ट्रेनिंग भी नहीं दी जाती नतीजतन वे कॉन्टेस्ट में जीते या हारे बस वहीँ पर स्टॉप हो जाते हैं. वैसे सारे कॉन्टेस्ट फर्जी नहीं होते. फिर भी मेरे ख्याल से नए लड़के-लड़कियों को एक बार तो इन छोटे फैशन कॉन्टेस्ट में जाना चाहिए ये परखने के लिए कि क्या वो मॉडलिंग के लायक हैं.
संतोष कुमार पाण्डे, ऑनर, मोतीमहल डीलक्स रेस्टोरेंट, बोरिंग कैनाल रोड – छोटे शहर हो या बड़े शहर जहाँ होनेवाले कॉन्टेस्ट हर किसी के लिए इम्प्रेशन का काम करते हैं. उस फिल्ड में लोग बहुत कुछ जानने समझने लगते हैं फिर उसी फिल्ड में कैरियर बनाने की कोशिश करते हैं. यह एक कम्प्लीट टैलेंट उभारने का प्लेटफॉर्म है जहाँ पर लड़के लड़कियां अपना कैरियर बनाने की उम्मीद लिए आते हैं. कॉन्टेस्ट कैसा भी हो एक संस्था के लिए वो बिजनेस हो सकता है लेकिन जो प्रतिभागी हैं, जो सीखना समझना चाहते हैं उनके लिए ऐसे कॉन्टेस्ट एक प्लेटफॉर्म है, एक करियर है और एक ज़िन्दगी है. बिजनेस तो आज हर चीज में है मगर जो इन सब से गुजरता हुआ-झेलता हुआ भी अपना टैलेंट निखार लेता है, कैरियर को सही दिशा में ले जाता है वही असल में हुनरमंद है.