छठ गीत के बिना छठ पर्व अधूरा सा लगता है

छठ गीत के बिना छठ पर्व अधूरा सा लगता है

पटना, 2 नवंबर, छठ गीत के बिना छठ पर्व अधूरा सा लगता है….अगर हम बिहारी हैं और चाहे दुनिया के किसी कोने में मौजूद हों दिवाली के बाद जैसे ही हमारे कानों में मधुर छठ गीत गूंजते हैं पूरा रोम-रोम प्रफुलित हो उठता है. यूँ तो छठ बिहार का मुख्य पर्व है लेकिन देश-दुनिया में अपनी मिटटी से दूर गए परदेशियों को भी यही छठ गीत अपनी मिटटी से जोड़े रखता है, वे दूर होकर भी जब छठ गीत सुनते हैं तो उनका मन स्वतः ही अपनी मिटटी की तरफ खिंचा चला आता है. साक्षात् दिखनेवाले देव सूर्य की उपासना में प्रचलित जितने भी पारम्परिक गीत हैं उसे हर नए-पुराने गायकों ने अपनी मधुर आवाज दी है और इस महापर्व के बहाने बिहार की अद्भुत संस्कृति को पूरे जग में उज्ज्वलित किया है. इसी मौके पर बोलो ज़िन्दगी ने प्रस्तुत किया था छठ के गीत कार्यक्रम जिसके तहत बिहार के मशहूर लोकगायकों ने अपनी मधुर आवाज में छठ के पारम्परिक गीत गायें, जिसे आप यहाँ सुन सकते हैं.

देवी – बिहार के छपरा जिले से निकलकर जिनकी आवाज ने पूरे देश-दुनिया में एक जादू सा चलाया उस लोकगायिका का नाम है देवी. अपनी एक खास तरह की आवाज से श्रोताओं को कायल बनानेवाली देवी ने कभी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया और जीवन में आजतक कोई अश्लील गाना नहीं गाया. छठ के मौके पर उनके द्वारा गाये पारम्परिक छठ गीतों को आज भी बहुत याद किया जाता है.

 

 

सत्येंद्र कुमार संगीत– बिहार के फोक स्टार मानेजानेवाले बिहार कला पुरस्कार से सम्मानित लोकगायक सत्येंद्र कुमार संगीत के संगीत ने भी बिहारवासियों को मुग्ध किया है. संगीत साधना करते हुए आज उनके कंधे पर बड़ी जिम्मेदारी भी सौंप दी गयी है. वे अब जदयू पार्टी के कला संस्कृति प्रकोष्ठ के बिहार प्रदेश अध्यक्ष भी बन चुके हैं. बोलो ज़िन्दगी के दर्शक इस छठ महापर्व में सत्येंद्र संगीत के गीत भी सुन सकते हैं.

 

 

 

 

 

नीतू नवगीत – बिहार के जहानाबाद, शकुराबाद से ताल्लुक रखनेवाली जानीमानी लोकगायिका डॉ. नीतू कुमारी नवगीत महिला सशक्तिकरण आधारित गीत लिखने और गाने के लिए प्रसिद्ध हैं. हिंदी, भोजपुरी के अलावे बिहार की अन्य बोलियों मगही, मैथिली, अंगिका इत्यादि भाषाओँ में गानेवाली नीतू नवगीत ने यहाँ छठ पर आधारित खुद के म्यूजिक एल्बम के गीतों के साथ-साथ पारम्परिक गीत भी गायें हैं.

 

 

 

 

 

 

मनीषा श्रीवास्तव – पटना, खगौल की मनीषा श्रीवास्तव इधर हाल के वर्षों में लोकगायिकी क्षेत्र में बड़ी तेजी से अपनी मुकम्मल जगह बनाने में कामयाब हुई हैं. वे विभिन सांस्कृतिक महोत्सवों में भोजपुरी संस्कृति से रचे-बसे सुरीले गीतों के माध्यम से बिहारी संस्कृति को एक नयी पहचान दिलाने में अग्रसर हैं. इधर महात्मा गाँधी पर आधारित गाये गीतों से उन्हें नयी पहचान मिली है. यहाँ बोलो ज़िन्दगी के माध्यम से मनीषा श्रीवास्तव की आवाज में आप छठ के पारम्परिक गीत सुन सकते हैं.

 

 

 

 

 

वागीशा झा– अब जिसके नाम में ही सुर की देवी माँ सरस्वती का नाम जुड़ा हो उसके स्वर की क्या बात कहें. इंडियन आइडल फेम, म्यूजिक में दो बार की गोल्ड मेडलिस्ट और बिहार गौरव सम्मान से सम्मानित वर्सेटाइल सिंगर वागीशा झा बिहार की उभरती हुई लोकगायिका हैं. अभी तो पटना के जेडी वीमेंस कॉलेज में पीजी की स्टूडेंट हैं लेकिन बहुत कम समय में इन्होने बिहार में आयोजित कई संगीत प्रतियोगिताओं को जीतकर अपनी गायिकी का लोहा मनवाया है. तो यहाँ सुनिए वागीशा झा की आवाज में छठ के गीत.

 

 

 

जब छठ महापर्व और छठ गीतों की बात चल रही है तो बोलो ज़िन्दगी के साथ विशेष बातचीत में बिहार आये हुए अमेरिका निवासी एनआरआई श्री सिद्धेश्वर सिंह के छठ प्रेम की दास्ताँ भी आप यहाँ सुन सकते हैं.

 

जात-पात,धर्म-सम्प्रदाय से अलग हटकर समाज को एक सूत्र में जोड़ने का नाम है महापर्व छठ. इसका जीता-जागता उदाहरण है पटना के किन्नर (ट्रांसजेंडर) समुदाय द्वारा पूरी सादगी और श्रद्धा से छठ का व्रत किया जाना. आप यहाँ ट्रांसजेंडर अमृता सोनी और उनके परिवार को छठ पर्व मानते देख सकते हैं.

About The Author

'Bolo Zindagi' s Founder & Editor Rakesh Singh 'Sonu' is Reporter, Researcher, Poet, Lyricist & Story writer. He is author of three books namely Sixer Lalu Yadav Ke (Comedy Collection), Tumhen Soche Bina Nind Aaye Toh Kaise? (Song, Poem, Shayari Collection) & Ek Juda Sa Ladka (Novel). He worked with Dainik Hindustan, Dainik Jagran, Rashtriya Sahara (Patna), Delhi Press Bhawan Magazines, Bhojpuri City as a freelance reporter & writer. He worked as a Assistant Producer at E24 (Mumbai-Delhi).

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