(रिपोर्टिंग : प्रीतम कुमार) बंगाल, आसाम, राजस्थान, पंजाब, कश्मीर….इतने ही नहीं बल्कि एक साथ पटना के स्टेज पर 10 प्रान्त उतर आये…. यह नजारा था पटना के कालिदास रंगालय का जहाँ विभिन्न राज्यों की लोकसंस्कृति से हम रु-ब-रु हो रहे थें. अवसर था 4 जून को ‘प्रांगण’ द्वारा आयोजित ग्रीष्मोत्सव -2019 रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का जहाँ प्रांगण कला केंद्र के बच्चों ने बिहार ही नहीं बल्कि कई राज्यों के लोकनृत्य प्रस्तुत करके अपने बिहार में पूरे देश को जिवंत कर दिया.
कार्यक्रम की शुरुआत गुरु वंदना – गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु गुरु देवः महेश्वरा….. से हुई.
उसके बाद एक-एक करके कई लोकनृत्यों की मनमोहक प्रस्तुति होती गयी, जिनमे से प्रमुख थें –
बांगला नृत्य – अप्सरा अली…..
असामी नृत्य – फागुन रे मोहनाये….
मुखौटा नृत्य – पल्लो लटके गोरी रे…
लोकनृत्य उत्तरप्रदेश – सासू पनिया कैसे लाऊँ…..
लोकनृत्य (भोजपुरी) – फार गईले निम्बुआ…..
राजस्थानी राजबारी
डोगरी नृत्य (कश्मीरी) – सोने दी पक्की, चांदी दी चादर…
पंजाबी नृत्य –
लोकनृत्यों के बाद अंत में रिमिक्स सॉन्ग डांस – दिलबरो, लौंग लाची, गलती से मिस्टेक हो गया….. की प्रस्तुतियां हुईं.
बीच-बीच के अंतराल पर शमा बंधे रखने के लिए शिखा कुमारी एवं मो. अलाउद्दीन अपनी गायिकी का जादू चलते रहें. इतनी सी हंसी……,जब कोई बात बिगड़ जाए….,चक धूम-धूम…जैसे गाने गाकर वे दर्शकों की तालियां लूट ले गएँ.
कार्यक्रम की परिकल्पना एवं निर्देशन रहा, सोमा चक्रवर्ती, अर्पिता घोष एवं आतिश कुमार का.
उद्घोषक एवं उद्घोषिका थें – संजय सिंह एवं सोमा चक्रवर्ती
मंच व्यवस्था- ओम प्रकाश, अमिताभ रंजन, आशुतोष कुमार, रामकृष्ण सिंह,
प्रेक्षागृह व्यवस्था- राजेश कुमार पांडेय, संजय कुमार, दिनेश कुमार, प्रतीक वर्मा, रतन कुमार, रेशव कुमार सोनी.
कार्यक्रम संयोजन- अभय सिन्हा
लोक नृत्य प्रस्तुत करनेवाले कलाकारों के नाम- सौम्या, अनन्या गुप्ता, मुनमुन घोष, सृष्टि मित्रा, सताक्षी पराशर, आस्था आनंद, ओ ऐशानी रॉय, ऐश्वर्या प्रिया, राधिका अग्रवाल, श्रुति कुमारी, मान्या घोष, रिया साहा, श्रीष्टि, सान्वी पराशर, श्रुति, काजल, कृति, रितिका चक्रवर्ती, रिया चक्रवर्ती, तनिष्क राज, तनिष्ठा गुप्ता, एकता कुमारी, स्नेहा शंकर, गुरप्रीत कौर, मुस्कान कुमारी, अवन्या भल्ला, रिया राज, आकांक्षा राज, भावना कुमारी, अनु कुमारी, प्रियंका सिंह, श्वेता कुमारी.