गोवा की राज्यपाल डॉ.मृदुला सिन्हा ने किया ममता मेहरोत्रा और सुषमा सिन्हा की पुस्तकों का लोकार्पण

सिटी हलचल
Reporting : BOLO ZINDAGI

वरिष्ठ लेखिका ममता मेहरोत्रा की पुस्तक का
लोकार्पण करतीं गोवा की गवर्नर डॉ. मृदुला सिन्हा 

पटना, 5 नवम्बर, भारतीय नृत्यकला मंदिर बहुद्देशीय परिसर में 29 वें लघुकथा सम्मलेन के समापन समारोह के अवसर पर मुख्य अतिथि गोवा की राज्यपाल डॉ. मृदुला सिन्हा ने वरिष्ठ लेखिका ममता मेहरोत्रा और सुषमा सिन्हा की पुस्तकों का लोकार्पण किया. लेखिका ममता मेहरोत्रा की तीन किताबों का लोकार्पण हुआ जिनमे दो लघुकथा संग्रह ‘विश्वासघात तथा अन्य कहानियां’ और ‘मेरी प्रिय कहानियां’ हैं . उनकी तीसरी पुस्तक है महिलाओं के मुद्दों पर ‘क्राइम अगेंस्ट वूमेन इन इंडिया‘. ममता जी की दोनों ही किताबें प्रभात प्रकाशन से आयीं हैं. वहीँ लेखिका सुषमा सिन्हा के लघुकथा संग्रह ‘एहसास‘ का भी लोकार्पण हुआ. पुस्तक लोकार्पण के बाद ‘अखिल भारतीय प्रगतिशील लघुकथा मंच’ के तहत पटना और देश के अन्य राज्यों से आये लघुकथाकारों और कुछ समाज सेवकों को डॉ. मृदुला सिन्हा के हाथों सम्मानित किया गया.  भोपाल से आयीं वरिष्ठ लेखिका कल्पना भट्ट, वाराणसी से आयीं वरिष्ठ लेखिका सुषमा सिन्हा, पटना के लेखक एवं पर्यावरणविद मेहता नागेंद्र सिंह, छपरा से आयीं प्रोफ़ेसर डॉ.अनीता राकेश, पटना की लेखिका डॉ.विभा रानी श्रीवास्तव, पत्रकार एवं लेखक ए.आर.हाशमी , मधुदीप और मालती महावर भार्गव को ‘लघुकथा मंच सम्मान’ से सम्मानित किया गया. वहीं ‘लघुकथा मंच अंकुर सम्मान’ के लिए किलकारी पटना से जुड़ी बच्चियों सरिता रानी और रानी कुमारी को लघुकथा लेखन के लिए सम्मानित किया गया.

लघुकथा मंच सम्मान 2017 से सम्मानित जन 

इसके बाद विशिष्ट सम्मान से अपने गांव में युद्धस्तर पर किये गए विकास कार्य के लिए सीतामढ़ी जिले की सिंहवाहिनी पंचायत की मुखिया सुश्री ऋतू जायसवाल, नाट्य निर्देशक एवं मीठापुर दयानन्द गर्ल्स हाई स्कूल की शिक्षिका अर्चना चौधरी, रंगकर्मी रवि भूषण मुकुल और पटना छठ पर्व के दौरान अच्छी व्यवस्था के लिए जिलाधिकारी पटना, संजय अग्रवाल को को महामहिम द्वारा सम्मानित किया गया.
इसके बाद लघुकथा मंच द्वारा लघुकथा के वर्तमान एवं भविष्य पर परिचर्चा आयोजित की गयी. इस संदर्भ में गोवा की गवर्नर डॉ. मृदुला सिन्हा ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि ‘आज जिन लोगों को सम्मानित किया गया मैं उन्हें बधाइयाँ देती हूँ . जो लोग सम्मानित नहीं हुए हैं और जो लघुकथा लिखते हैं उन्हें भी उम्मीद बंधी होगी कि अगली बार हमें भी सम्मानित किया जायेगा. और जो नहीं लिखते हैं वो लिखने के लिए प्रयास करेंगे. क्यूंकि इस प्रकार के कार्यक्रम को देख मैं जब अपना बचपन स्मरण करती हूँ तो मुझे ऐसा लगता है कि मेरे स्कूल में या और भी संस्थाओं में मैं नीचे बैठकर देखती थी. मंच पर जिसको सम्मानित किया जाता था उसे देख मेरे मन में एक इच्छा उत्पन्न होती थी कि मुझे कब सम्मानित किया जायेगा. और मैं स्कूल-कॉलेज में जाती हूँ तो सबसे कहती हूँ कि ये इच्छा बलवती होनी चाहिए सबके मन में कि हम वहां कब बैठेंगे, हमे कब उस मंच से सम्मानित किया जायेगा. ये सकारात्मक इच्छा है, ये होनी चाहिए सबके मन में, इसमें कोई बुराई नहीं है. यहाँ तो सचमुच ‘संग चले जब तीन पीढ़ियां, साधे विकास की सभी सीढियाँ.’ मतलब यहाँ तीनों पीढ़ियां बैठी हैं. और समाज की तीन पीढ़ियां जब एकत्रित हो जाती हैं तो परिवार बहुत आगे बढ़ता है, समाज आगे बढ़ता है. पीढ़ियां जब अलग-अलग हो जाती हैं तो परिवार भी कमजोर पड़ जाता है. ये भी तो लघुकथा परिवार है. यहाँ एक चीज और मैं बताना चाहूंगी कि मैंने देखा कि कोई विचार आता था तो मन में ऐसा लगता था कि अभी समय नहीं है कि इसको कहानी बना सकूँ, समय नहीं है कि उपन्यास बना सकूँ. फिर मैंने सोचा अच्छा होगा मैं इसको लघुकथा लिख लूँ  और जब समय मिलेगा तो उसी कथावस्तु को विस्तार देकर कहानी लिख लूंगी, उपन्यास लिख लूंगी. और ये सिर्फ मैं यहाँ अपनी बात नहीं कर रही बल्कि कोई भी लेखक ऐसा कर सकता है.’  इस मौके पर कार्यक्रम के अध्यक्ष पटना विश्वविधालय के कुलपति डॉ. रासबिहारी सिंह ने भी सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि ‘लघुकथा न्यूक्लियर व मिसाइल है जो सीधे पाठकों के दिलों को बेध जाती है.’  इस पूरे कार्यक्रम का सफल मंच संचालन लघुकथा मंच के महासचिव प्रोफेसर ध्रुव कुमार ने किया.
             

लघुकथा प्रदर्शनी का अवलोकन करते दर्शक 

सम्मलेन में धन्यवाद ज्ञापन मंच के अध्यक्ष सतीश राज पुष्करणा ने किया. कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री रामकृपाल सिन्हा, डॉ.तारण राय, वीरेंद्र कुमार सहित अन्य कई लोग मौजूद थें.
आयोजन स्थल ‘भारतीय नृत्य कला मंदिर बहुद्देशीय परिसर’ के बाहर लघुकथाकरों के लघुकथाओं की एक प्रदर्शनी भी लगायी गयी थी जिसमे थीम पर बनी पेंटिंग से कहानियां जिवंत हो गयी थीं. कार्यक्रम के अंत में लौटते वक़्त महामहिम ने कुछ देर खड़े होकर इस प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया. 

About The Author

'Bolo Zindagi' s Founder & Editor Rakesh Singh 'Sonu' is Reporter, Researcher, Poet, Lyricist & Story writer. He is author of three books namely Sixer Lalu Yadav Ke (Comedy Collection), Tumhen Soche Bina Nind Aaye Toh Kaise? (Song, Poem, Shayari Collection) & Ek Juda Sa Ladka (Novel). He worked with Dainik Hindustan, Dainik Jagran, Rashtriya Sahara (Patna), Delhi Press Bhawan Magazines, Bhojpuri City as a freelance reporter & writer. He worked as a Assistant Producer at E24 (Mumbai-Delhi).

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