
ऐ उम्र तुझसे पूछती हूं एक सवाल
तू है मेरी हमजोली
या सिर्फ करती रहती है ठिठौली.

जन्मदिन पर आकर
अंको की माला बढ़ा देती
धीरे-धीरे तू मुझको डंसती जाती.
मेरी सेहत से करती है तू बेईमानी
खुश होकर सहती रहती हूं तेरी नादानी.
शरीर से करती है तू शत्रुता
रोग से करती है मित्रता
चैन से रहने नहीं देती
गहरी नींद में सोने नहीं देती.
दांतों और आंतों पर दिखलाया अपना कहर
दिखाकर तरह-तरह के पकवान
मन को ललचाया करती है.
ऐ उम्र,
बालों से छीना है तूने मेरा कालापन
मजबूत पैरों को किया है तूने कमजोर
दौड़ने पर तूने लगा दिया है पाबंदी
धुसरित किया है नयनसुख आनंदी.
उम्र करती हूं तुझसे निवेदन
अपनी अंको की माला को माइंस का जामा पहना दो
फिर से मेरा बचपन मेरी जवानी लौटा दो
यंग सीनियर का सेहरा पहनाकर
फिर से हमजोली बंद कर लो हमसे ठिठोली.