जो कोई उसकी दिलकश आवाज सुनता है यही कहता है कि उसकी आवाज में एक खनक है…एक ताजगी है, लेकिन उफ़..! जो कोई उसे देखता है उसकी खूबसूरती का कायल हो जाता है और उसे यह कम्प्लीमेंट जरूर दे जाता है कि “आपको मैं भविष्य की अभिनेत्री के रूप में पाता हूँ.” वह ‘बिहार आइडल‘ है और उसकी खनकती आवाज के जादू ने उसे जी गंगा के सारेगामापा रंग पुरवैया के शो में टॉप 8 तक पहुँचाया. यहाँ बात हो रही है बिहार की बेटी ‘फ्रेश वॉइस ऑफ़ इण्डिया‘ स्नेह उपाध्याय की जिसकी आवाज ने सनसनी मचाई हुई है. और इसका उदाहरण है उनके नाम से बना उनका यू-ट्यूब चैनल जिसपर बहुत कम समय में ही उनके बहुतेरे फैन फॉलोवर्स ने स्नेह के हौसले बढ़ाये हैं. बहुत ही कम समय में और विपरीत परिस्थितियों में स्नेह ने इस कामयाबी को छुआ है. लेकिन उनके अनुसार अभी तो शुरुआत है, उन्हें अभी और बहुत आगे जाना है. चलिए स्नेह के अबतक के इस सफर की कहानी सुनते हैं खुद स्नेह की ही जुबानी…..
मैं समस्तीपुर, बिहार की रहनेवाली हूँ. मेरे पापा रेलवे में सीनियर सेक्शन इंजीनियर थें. उन्हें हार्ट की प्रॉब्लम थी और पिछले साल हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया. मैं बस उनकी इच्छा पूरी करने की कोशिश में लगी हूँ. मेरे परिवार में मेरी माँ और मेरे बड़े भाई है. मैंने अपनी ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई समस्तीपुर से ही पूरी की है. मुझे बचपन से ही गाने का शौक था, स्कूल-कॉलेज में अक्सर सिंगिंग कम्पटीशन में भाग लेती थी तो मैंने अपना भविष्य इसमें ही चुन लिया. चूँकि मेरे घरवालों का पूरा सपोर्ट था तो मुझे इस क्षेत्र में आगे जाने में आसानी हुई.
2011 में पूरे बिहार में ऑडिशन के आधार पर एक सिंगिंग कम्पटीशन हुआ जिसमे मुझे ‘बिहार आइडल’ चुना गया था. 2013 में मुझे महुआ टीवी के प्रोग्राम सुर संग्राम में ब्रेक मिला. उस शो में मैं बिहार के टॉप 12 में थी. उसके बाद सारेगामापा रंग पुरवैया किया जिसमे टॉप 8 में थी. उस शो में बतौर जज थीं लोकगायिका मालिनी अवस्थी और गायक राजेश पांडेय जी. ये शो मेरे लिए काफी मुश्किल भरा रहा, दो महीने पहले पापा का देहांत हो जाने और उसके बाद पांच हजार लोगों के सामने अपने आपको प्रतियोगिता के लिए तैयार करना काफी मुश्किल था, लेकिन पापा की बातें यादकर हिम्मत मिलती थी क्यूंकि वो अक्सर बोला करते थें, ‘जिंदगी का सिलसिला जारी रहना चाहिए.’ उनके आशीर्वाद से मेरा सारा ऑडिशन अच्छा रहा. आज मैं जो भी कर रही हूँ उनके लिए ही कर रही हूँ वह आज जहाँ भी होंगे खुश होंगे. पटना से मुंबई तक का सफर मेरे लिए चैलेंजिंग रहा. पटना ऑडिशन में सिर्फ 6 या 8 लोग ही सलेक्ट हुए थें. फिर ऑल ओवर बिहार से सेलेक्ट होकर मुंबई जाना और वहां टॉप 42 में मेगा ऑडिशन देना, फिर टॉप 12 में आना मेरे लिए बहुत आसान नहीं था. मुझसे एक से एक बेस्ट टैलेंट थें, उस बड़े स्टेज पर नर्वसनेस बहुत थी मगर दिमाग में चल रहा था कि पापा का सपना पूरा करना है. तो यही सोचकर सारी चिंताओं को दरकिनार करते हुए मैंने हमेशा बेस्ट देने की कोशिश की और टॉप 8 तक पहुंची.
मालिनी अवस्थी जी मैं को मेरी आवाज पसंद आयी थी. उन्होंने कहा था “तुम्हारी आवाज प्ले बैक सिंगर की है. तुम्हारी आवाज में जान है, एक मिठास है.” वहां मुझे सबलोग कहते रहते थें “आपको हमलोग एक ऐक्ट्रेस के रूप में देखते हैं.” शो में जितने भी जज आते थें उनसे मुझे अच्छा रिस्पॉन्स मिलता था. अनूप जलोटा जी, रवि किशन जी सबको मेरी आवाज पसंद आती थी. उसी सारेगामापा प्रोग्राम में कुमार शानू जी के द्वारा मुझे ‘फ्रेश वाइस ऑफ़ इण्डिया’ का अवार्ड भी मिला था. इस प्रतियोगिता में भारत के हर राज्य से प्रतियोगी आये हुए थें.
वेब म्यूजिक के लिए मैं सावन का कजरी गीत गा चुकी हूँ. आगे कुछ गजल आने वाले हैं, जिनसे मैंने संगीत सीखा, जो मेरे गुरु थें मजीद खान उनके द्वारा गाये हुए गजल को मैं ट्रिब्यूट दे रही हूँ. उसका अभी एक शादी का गाना आ चुका है ‘मेरे होठों पर…..’ अगला गाना वेलेंटाइन डे पर आएगा जिसके बोल हैं “दिल लगाने का मजा कुछ और है, भूल जाने का मजा कुछ और है.”
मुझे बहुत गर्व महसूस हो रहा है कि मैं अपने बिहार का नाम रौशन कर पाई. सारेगामा में जब मेरे नाम के साथ बिहार का नाम बोला जाता था तो वह मेरे लिए काफी गौरान्वित क्षण था. मुझे भोजपुरी फिल्म में गाने के ऑफर मिले. मैं सिर्फ नाम पाने के लिए कुछ भी नहीं गा सकती और मुझे भोजपुरी संगीत को अलग पहचान दिलानी है. भोजपुरी में सिर्फ गंदे गाने नहीं बल्कि अच्छे गाने भी होते हैं, उसको बढ़ावा देना है. मैंने एक गाना मैथली में गाया था जो चुनाव के समय मतदाता जागरूकता के लिए था. इस प्रचार वाले गाने को बिहार के सारे जिलों में चलाया गया था. अभी जी टीवी पर जो ‘सारेगामापा लिटिल चैम्प्स’ का भोजपुरी वर्ज़न आया उस शो में मैं बतौर मेंटर भी शामिल हुई थीं.
घर में तो सब लोग सपोर्ट करते थें, कुछ लोग टांग खींचनेवाले थें भी तो हम उन्हें नज़रअंदाज कर के चलते थें, अगर हम ध्यान देने लगेंगे तो शायद आगे नहीं बढ़ पाएंगे. लेकिन खुशनसीब हूँ कि बुराई करनेवालों से ज्यादा अच्छाई करनेवालों को फेस करना पड़ा है.