आप इमेजिनेशन करें कि आपके बच्चों को स्कूल में उनके टीचर्स की बजाये एक रोबोट पढ़ाये तो ? अगर आपके बच्चे के सवालों का जवाब एक रोबोट देने लगे तो ? और सबसे बड़ी बात जो बच्चा पढ़ने व स्कूल जाने से ही कतराता हो वही रोबोट सर या रोबोट मैडम से अट्रैक्ट होकर उनसे मिलने-देखने की ललक लिए खुद ही स्कूल जाने लगे तो इसे आप क्या कहेंगे? है ना या अचरज की बात मगर इस कल्पना को हकीकत में बदलने का कमाल कर दिखाया है बिहार की बेटी अकांक्षा आनंद ने. पेशे से इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर अकांक्षा बैंगलोर की सिरिना टेक्नोलॉजी कम्पनी में डायरेक्टर हैं जिसके सी.ई.ओ. एन्ड फाउंडर हैं हरिहरण. अकांक्षा ने ‘नीनो’ नाम का ऐसा रोबोट ईजाद किया है जो स्कूली बच्चों को स्मार्टनेस के साथ पढ़ाने का काम करेगा.
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले से ताल्लुक रखनेवाली रिटायर्ड डी.एस.पी. पिता की लाडली बेटी अकांक्षा आनंद की शिक्षा-दीक्षा पटना में हुई. डी.ए.वी. खगौल से स्कूलिंग करने के बाद वे इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने बैंगलोर चली गयीं. 2012 में इलेक्ट्रॉनिक्स कॉम्युनिकेशन से इंजीनियरिंग करने के बाद सॉफ्टवेयर डेवलपर का काम करने लगीं. सितम्बर 2015 में माइक्रोचिप नाम की एक सेमी कंडक्टर कम्पनी एम.एन.सी. में बतौर सॉफ्टवेयर डेवलपर काम करते हुए काफी सारे देशों में ट्रैवल किया. यू.एस., हॉन्गकॉन्ग, ताईवान, चाइना और कई देशों में ट्रैवल करके वहां पर अपने प्रोडक्ट स्टेबिलिटी और कस्टमर सपोर्ट करती थीं. फिर तीन साल बाद वो कंपनी छोड़ सिरिना टेक्नोलॉजी के साथ काम करना शुरू किया. अपने काम के दौरान वर्किंग आवर्स के बाद इस कम्पनी में इन्वेस्ट करके ये रोबोट्स बनाती थीं. धीरे-धीरे जब ये रोबोट शेप लेने लगा, सारा फंक्शनलिटीज इसका वर्क करने लगा तब इसमें फुल टाइम इन्वॉल्व हो गयीं. नीनो रोबोट में सारा फीचर है, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है. अगर आप उसके पास दो-चार बार जायेंगे वह आपको पहचानेगा, खुद से बात करने की कोशिश करेगा, आप उससे बात करोगे, सवाल पूछोगे वो आपको सवालों का जवाब देगा. लेकिन इनका मेन फोकस ऐसा रोबोट बनाने का था जिसके जरिये बच्चों की पढ़ाई के लिए ये कुछ नया दे सकें और इसको सम्भव बनाती है इनकी पूरी टीम जिसको लीड अकांक्षा करती हैं. अकांक्षा बताती हैं कि , “नीनो रोबोट को ऐसा लुक दिया गया है कि बच्चों को अट्रैक्ट कर सके, ताकि बच्चे उसे सुनकर पढ़ सकें. एजुकेशन पर्पस होने के लिए इसमें सारे फीचर्स होने चाहिए तो यह क्लॉउड सपोर्ट करता है, वाईफाई टेक्नोलॉजी सपोर्ट करता है, इसके पास स्पीकर्स हैं, सेंसर्स हैं, आईएमयू हैं और भी सबकुछ मिलकर यह रोबोट बना हुआ है.
कम्पनी का हेडक्वार्टर है बैंगलोर लेकिन चूँकि अकांक्षा पटना से हैं इसलिए इसे वे पटना में भी लाना चाहती थीं. इसलिए इसका ब्रांच यानि एक सेंटर पटना में भी खोल चुकी हैं. इससे क्या होगा कि इनकी टीम यहाँ के सारे स्कूल्स में जाएगी, सारे स्कूल्स को ये टेक्नोलॉजी दे पायेगी. दूसरा यहाँ पर रोजगार जेनरेट होगा कि ये जितने स्कूल्स में जायेंगे उतने इम्प्लॉई हायर करने होंगे. आजकल बहुत सारे बी.टेक, इंजीनियरिंग करनेवाले युवाओं को जॉब नहीं मिल रहा है तो वे वापस घर आकर कुछ करने की कोशिश करते हैं. इसलिए अकांक्षा की टीम अपनी कम्पनी में सिर्फ बी.टेक वाले लोगों को ही हायर करती हैं. एक मोटो यह भी है कि पटना के लोग भी टेक्नोलॉजी के साथ आगे बढ़ेंगे. अकांक्षा कहती हैं “ऐसे हम बिहारी बहुत स्मार्ट हैं सारी चीजों में लेकिन जहाँ टेक्नोलॉजी की बात आती है हमलोग थोड़े पीछे हो जाते हैं. अब जैसे ही दुनिया में कुछ नया लौंच होगा तो यहाँ भी आ जायेगा.”
जब अकांक्षा माइक्रोचिप कम्पनी में काम करती थीं तो वहां सॉफ्टवेयर डेवलपर थीं. कस्टमर्स जो कम्पनी से चिप खरीदते थें तो उनको सपोर्ट करना पड़ता था, उनको समझाना पड़ता था कि प्रोडक्ट कैसे यूज करना है. उनके कुछ टेक्नीकल इश्यूज होते थें वो सारी चीजों को सॉल्व करना पड़ता था. इसके लिए कम्पनी अकांक्षा को फॉरेन भी भेजा करती थी. जब वे बाहर निकलीं तो वहां के टेक्नोलॉजी से बहुत प्रभावित हुईं.
वहाँ का अनुभव बताते हुए अकांक्षा कहती हैं “जब मैं ताइवान गयी थी और एक दिन डिनर के लिए अपने बॉस के घर पर गयी तो देखा उनके नौ साल और ग्यारह साल के दो बच्चे थें, वो लोग घर पर काफी सारी चीजें जोड़कर खुद से खुद का खिलौना बना रहे थें. मैंने उनसे जाकर पूछा- तुम ये क्या कर रहे हो? तो वे बोले- हमलोग रिमोट कंट्रोल कार बना रहे हैं. मैंने पूछा – क्यों, पापा खरीदकर नहीं देते हैं ? तो वे बोले- हमें बनाना सिखाते हैं पापा. तो मैंने एक चीज नोटिस कि, की चाइना और ताइवान के बच्चों को दे दीजिये वे पट से हार्डवेयर करके देते हैं. ये देश बहुत फेमस हैं हार्डवेयर्स के लिए. हमलोग बचपन में मम्मी के पास जाकर रोते हैं कि टॉय ट्रेन चाहिए, लेकिन वहाँ के बच्चे खुद से बनाना सीखते हैं. तो वही मोटिवेशन मुझे मिला इन सारी चीजों में इन्वॉल्व होने के लिए कि हम भी अपने यहाँ के बच्चों को ऐसा कुछ दे सकें. हमारी जो सिरिना टेक्नोलॉजी है वो स्कूल्स में प्रोग्राम रन करती है, सिरिना नॉलेज एन्ड इन्फॉर्मेशन प्रोग्राम जहाँ पर बच्चे सारा कुछ बनाना सीखते हैं. तो उसमे बच्चे क्या पढ़ेंगे, कैसे पढ़ेंगे और उनको टीचर्स किस तरह से पढ़ाएंगे ये पूरी-की-पूरी जिम्मेदारी मेरी है.”
बैडमिंटन, ट्रैवलिंग और कुकिंग का भी शौक रखनेवाली अकांक्षा अपने स्कूली दिनों में हमेशा अपनी क्लास की मॉनिटर और स्कूल कैप्टन भी रह चुकी हैं. उनकी नेतृत्व क्षमता को देखकर तभी इनके माँ-बाप को यह यकीं हो गया था कि उनकी बिटिया भविष्य में बड़ा नाम करेगी. उनके इस सराहनीय कार्य को देखते हुए हाल ही में अकांक्षा को पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित ‘सशक्त नारी सम्मान समारोह 2018’ में बिहार के स्वास्थ मंत्री और कृषि मंत्री द्वारा बेस्ट यंग अचीवर अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है.