अंतराष्ट्रीय वृद्ध दिवस पर बुजुर्गों ने कहा- ‘अभी तो मैं जवान हूँ’

अंतराष्ट्रीय वृद्ध दिवस पर बुजुर्गों ने कहा- ‘अभी तो मैं जवान हूँ’
      ‘पुरोधालय’ में चम्मच दौड़ में भाग लेते हुए बुजुर्ग

पटना, 1 अक्टूबर, ‘याहू…चाहे कोई मुझे जंगली कहे, कहने दो जी कहता रहे…’, ‘हम भी अगर बच्चे होते नाम हमारा होता डब्लू-बबलू और खाने को मिलते लड्डू…’ इन गीतों पर बुजुर्ग पुरुष एवं महिलाएं पूरी मस्ती के मूड में खेलते-नाचते-झूमते हुए देखे गए. अवसर था ‘अंतराष्ट्रीय वृद्ध दिवस’ का जहाँ पुरोधालय संस्थान और लायंस क्लब ऑफ पटना फेमिना के संयुक्त प्रयास से पटना के नागेश्वर कॉलोनी स्थित पुरोधालय परिसर में वरिष्ठ नागरिकों के लिए खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. इसमें 70 से अधिक पुरुषों व महिलाओं की भागीदारी रही. बुजुर्गों ने ‘उम्र पचपन का दिल बचपन का’, ‘अभी तो मैं जवान हूँ’, ‘हम जब होंगे साठ साल के और तुम होगी पचपन की’, ‘बड़े मियां दीवाने ऐसे न बनो’ आदि जैसे शीर्षक खेलों में भाग लेकर खूब लुत्फ़ उठाया. इतना ही नहीं खेल के अलावे डांस, गाना, कविता- शायरी का भी दौर चला.
बुजुर्गों के इस अनूठे कार्यक्रम की कमान जहाँ एक ओर पुरोधयालय के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. अशोक प्रियदर्शी एवं संस्थान के महासचिव प्रणय कुमार सिन्हा ने तो वहीँ दूसरी और लायंस क्लब ऑफ़ पटना फेमिना की अध्यक्ष मधु श्रीवास्तव ने संभाल रखी थी. मौके पर तीन पीढ़ियों की सहभागिता देखकर ऐसा महसूस हो रहा था कि कोई भरा-पूरा परिवार मिलजुलकर मस्ती कर रहा है. ‘उम्र पचपन की दिल बचपन का’ खेल में चम्मच में नीबू डालकर मुँह से दबाये हुए भागना सच में बुजुर्गों को बचपन की याद दिला गया. ये खेल महिला और पुरुष वर्ग में दो-दो राउंड खेला गया.

रिंग थ्रोइंग एवं पासिंग द पार्सल गेम का आनंद लेते हुए बुजुर्ग

 

 

उसके बाद ‘अभी तो मैं जवान हूँ- रिंग थ्रोइंग गेम की शुरुआत हुई जिसमे बुजुर्गों ने सबसे ज्यादा जोश दिखाया और अपनी आँखों पर जोर देते हुए रिंग द्वारा निशाना लगाकर टेबल पर पड़ी गिफ्ट्स को जीतते चले गए. अब बारी थी आखिरी खेल ‘बड़े मियां दीवाने ऐसे न बनो’- एक-दूसरे के बीच पार्सल पासिंग करते हुए खेलने और अपना टैलेंट दिखने की. म्यूजिक ऑन होते ही एक गोल घेरा बनाकर बैठे बुजुर्ग पिल्लो को एक-दूसरे को पास कर रहे थें फिर जैसे ही म्यूजिक बंद हुआ और जिनके हाथ में तब पार्सल आया वो पकड़ लिए गए कुछ एक्टिविटी करने के लिए. जब उनसे कहा गया कि डांस करके दिखाइए, कोई सॉन्ग गाकर सुनाइए, कुछ शेरो-शायरी सुनाइए, कुछ अदाकारी दिखाइए…. फिर क्या था, एक बार तो बुजुर्गों में जैसे सांप सूंघ गया. लगे कई बहाने बनाने कि मेरे पांव में दर्द है, मुझे गाना याद नहीं आदि-आदि….और शायद इसी डर से पार्सल को वे घबराकर इतनी तेजी में पास कर रहे थें कि जैसे वो कोई बम का गोला हो और म्यूजिक बंद होते ही जैसे वह उनके हाथों में फट पड़ेगा.

 

 

खेल के दौरान अपना छुपा हुआ टैलेंट बाहर निकालते हुये बुजुर्ग सदस्य

लेकिन इस खेल में सहयोग कर रही कुछ लड़कियों ने उनका कोई बहाना चलने नहीं दिया. लड़कियों ने उनसे कहा कि “जैसा आपने अपने दोस्त की बारात में डांस किया था वैसा ही करके दिखाइए…”, “जो गाना आपने अपने पति को कभी सुनाया होगा वह गाकर सुनाइए..” उनकी जिद पर बुजुर्गों को डांस, गाना और शेरो-शायरी करनी ही पड़ी. फिर जब एक ने शुरुआत की और वाह-वाह के साथ तालियों की आवाज गूंज उठी तो सबके सब रिचार्ज हो गए फिर निकलने लगें एक-से-एक छुपे हुए टैलेंट. वहीँ जब पुरोधालय के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. अशोक प्रियदर्शी जी की बारी आयी तो उन्होंने लालू यादव बनकर अपनी अदाकारी से मौजूद सभी लोगों का दिल जीत लिया. पासिंग द पार्सल गेम के एन्ड में सुरेश प्रसाद और रेखा श्रीवास्तव जी के बीच टाई हो गया. फिर उन दोनों के बीच प्रतियोगिता कराई गयी और अबकी बार विजेता का सेहरा बंधा सुरेश प्रसाद के सर पर.

 

 

 

 

खेल प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत करतीं मधु श्रीवास्तव व लायंस क्लब ऑफ़ पटना फेमिना की मेम्बर्स

अब बारी थी प्राइज डिस्ट्रिब्यूएशन की. सबसे पहले विभिन्न खेलों में फर्स्ट, सेकेण्ड, थर्ड आनेवाले प्रतिभागी बुजुर्गों को लायंस क्लब ऑफ़ पटना फेमिना की अध्यक्ष मधु श्रीवास्तव के हाथों पुरस्कार प्रदान किया गया. चम्मच दौड़ में फर्स्ट आने के साथ ही और भी कई प्रतियोगिताओं में जीत हासिल कर अपनी ऑलराउंडिंग प्रदर्शन से सबका दिल जीतने वाले बुजुर्ग आर.के.स्वामी जब सम्मानित हुए तो वहां मौजूद बच्चियों ने उनसे कहा- “इस ख़ुशी में दादा जी को अपने ज़माने का एक गाना गाना होगा.” इस पर आर. के.स्वामी फरमाएं “पुराने ज़माने का क्यों मैं शारुख खान की फिल्म का गाना गा दूंगा.” उसके बाद तो पूरा माहौल ठहाकों से गूंज उठा.
इस मौके पर पुरोधालय के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. अशोक प्रियदर्शी ने अपने वक्तव्य में कहा कि “आज के बदलते परिवेश में अधिकांश बुजुर्ग अकेलेपन का दंश झेल रहे हैं. उनमे पॉजिटिविटी की भावना बनाये रखने के लिए पुरोधालय संस्थान ने संकल्प लिया है.” वहीँ संस्थान के महासचिव प्रणय कुमार सिन्हा ने बताया कि “इस संस्थान का मूल उद्देश्य है बुजुर्गों को स्वस्थ बनाये रखने की, उनकी नीरसता दूर करने की, एक साथ मिल-बैठकर एक-दूसरे के सुख-दुःख में सहयोगी बनने की.”

 

 

लायंस क्लब ऑफ़ पटना फेमिना की प्रेसिडेंट मधु श्रीवास्तव ‘पुरोधालय’ के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. अशोक प्रियदर्शी व महासचिव प्रणय सिन्हा को सम्मानित करती हुईं

 

 

वहीँ लायंस क्लब ऑफ़ पटना फेमिना की अध्यक्ष मधु श्रीवास्तव ने ‘बोलो जिंदगी’ को बताया कि “समयाभाव के कारण आज हमने बुजुर्गों के लिए सिर्फ खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया है. बहुत जल्द हम अपनी संस्था की ओर से एक हेल्थ कैम्प का आयोजन इस परिसर में करेंगे.”
इस खेल आयोजन के बाद लगभग सभी थोड़े थक से गए थें इसलिए थोड़ा विराम लेते हुए नाश्ता-पानी कि व्यवस्था होने लगी.

 

 

 

 

 

 

बुजुर्गों के बीच अपने वक्तव्य देती हुईं प्रियांशु ठाकुर, श्रेया वर्मा, मानसी वर्मा एवं दीक्षा कौरा

इसी बीच वहां मौजूद तीसरी पीढ़ी की लड़कियों प्रियांशु ठाकुर, श्रेया वर्मा, मानसी वर्मा एवं दीक्षा कौरा ने अपने अनुभव सभी के साथ साझा करते हुए कहा कि “हम जैसे बहुत से युवाओं को यहाँ आना ऐसा लगता होगा कि सिर्फ दादा-दादी के उम्र के बुजुर्गों के बीच जाना बड़ा बोरिंग हो जायेगा लेकिन सच यह है कि हम चारों ने यहाँ आकर जो इंज्वाय किया वो किसी पार्टी-वार्टी में नहीं कर पाए थें. और सबसे बड़ी बात है कि यहाँ कोई फेक नहीं है, जो जैसे हैं वैसे ही सबको अपना चेहरा दिखा रहे हैं. हमलोगों के दादा-दादी, नाना-नानी किसी की तब याद नहीं आती जब हम यहाँ आते हैं. इसलिए हम पुरोधालय को थैंक्स कहना चाहेंगे कि हमें यहाँ आने का मौका दिया.”
लायंस क्लब ऑफ़ पटना फेमिना की पूरी टीम को इस आयोजन को खूबसूरत बनाने के लिए पुरोधालय के सी.ई.ओ. संजय सिन्हा, पुरोधालय संस्थान के प्रोग्राम अधिकारी ओम प्रकाश, समन्वयक मोहम्मद मुदस्सिर, सत्यदेव जायसवाल, बी.के.गुप्ता, इंद्रदेव सिंह, कृष्णा कुमार एवं हेल्थ लाइन संस्था के सचिव अवधेश कुमार ने धन्यवाद व्यक्त किया. वहीँ लायंस क्लब ऑफ़ पटना फेमिना की श्रीमती नंदा गर्ग(पीडीजी), रीता वर्मा(कोषाध्यक्ष), अनीता वर्मा (इस इवेंट कि कोर्डिनेटर) आदि के सहयोगात्मक सक्रियता की वजह से ही बुजर्गों के चेहरों पर खुशियां छायीं रहीं.

‘पुरोधालय’ के बुजुर्ग सदस्यों के साथ डांस करती हुईं लड़कियां एवं लायंस क्लब पटना फेमिना की महिलाएं

 

 

 

फिर कुछ देर में शाम की बेला पैर पसारने लगी तो पुराने ज़माने के लोगों के बीच नए ज़माने के गाने बजने शुरू हो गए और फिर लड़कियों ने डांस करते-करते बुजुर्गों को भी एक-एक कर खींचते हुए अपनी टोली में शामिल करना और उन्हें नचाना शुरू कर दिया. 60 -70 साल के बुजुर्गों का नयी फ़िल्मी गीतों पर कमर लचकाते हुए शम्मी कपूर स्टाइल में थिरकते देखना कुछ अलग ही मजा दे रहा था. इस महफ़िल में रंग ज़माने वाले और शामिल होनेवाले प्रत्येक बुजुर्ग अपने दिल से मानो यही कह रहे थें कि “अभी तो मैं जवान हूँ…अभी तो मैं जवान हूँ.”

About The Author

'Bolo Zindagi' s Founder & Editor Rakesh Singh 'Sonu' is Reporter, Researcher, Poet, Lyricist & Story writer. He is author of three books namely Sixer Lalu Yadav Ke (Comedy Collection), Tumhen Soche Bina Nind Aaye Toh Kaise? (Song, Poem, Shayari Collection) & Ek Juda Sa Ladka (Novel). He worked with Dainik Hindustan, Dainik Jagran, Rashtriya Sahara (Patna), Delhi Press Bhawan Magazines, Bhojpuri City as a freelance reporter & writer. He worked as a Assistant Producer at E24 (Mumbai-Delhi).

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