पटना, 6 मार्च, “बोलो ज़िन्दगी वेलफेयर फाउंडेशन“ ने सहयोगी संस्था “मेक ए न्यू लाइफ़ फाउंडेशन“ के साथ मिलकर 8 मार्च: अंतराष्ट्रीय महिला दिवस 2022 के उपलक्ष्य में सराहनीय कार्य कर रहीं पटना के विभिन्न मीडिया क्षेत्र की 8 पत्रकार महिलाओं को सम्मानित किया.
उन्हें “चेंज ए लाइफ़“ संस्था के सौजन्य से खूबसूरत गिफ्ट्स भी दिए गयें.
बोलो ज़िन्दगी टीम से राकेश सिंह ‘सोनू’, तब्बसुम अली और प्रीतम कुमार ने जिन 8 महिलाओं को उनके घर, ऑफ़िस एवं फील्ड वर्क में जाकर समान्नित किया वो नाम हैं : –
1. सविता कुमारी, दैनिक हिंदुस्तान
2. प्रीति सिंह, दैनिक भास्कर
3. जूही स्मिता, प्रभात खबर
4. ज्योति मिश्रा, News 18 Bihar
5. आरजे बरखा, Radio City 91.1 FM
6. ज्योति शर्मा, राष्ट्रीय सहारा
7. नंदिनी वर्मा, आकाशवाणी, पटना
8. डॉ रत्ना पुरकायस्थ, पूर्व निदेशिका, दूरदर्शन, पटना.
पत्रकार महिलाओं ने इस महिला दिवस के अवसर पर सभी घरेलू एवं कामकाजी महिलाओं को अपनी तरफ़ से ख़ास संदेश भी दिया जिससे वो मोटिवेट हो सकें.
महिला दिवस पर अपने विशेष सन्देश में डॉ. रत्ना पुरकायस्थ ने कहा कि “सिर्फ एक दिन ही क्यों, हम महिलाओं के लिए तो हर दिन हर वक़्त और हर क्षण है…. सुबह से लेकर रात तक, ज़मीं से लेकर फ़लक तक हर जगह हम ही हम हैं, क्योंकि सृष्टि की रचना भी हम महिलाओं की वज़ह से ही तो है.”
ज्योति शर्मा ने कहा कि “जितना हम घर को संभालना जानती हैं उतनी ही सजगता से घर के बाहर के कार्यों को भी कर सकती हैं, अगर हम सही हैं तो बिना किसी की परवाह किये आगे बढ़ सकती हैं, अपनी ख्वाहिशों को पंख दे सकती हैं.”
जूही स्मिता कहती हैं, “आमतौर पर महिलाओं को बोलने की आज़ादी नहीं मिलती, मैं चाहती हूँ कि पुरुष अपने घर की महिलाओं को बोलने, घूमने और खासकर के सपनों को जीने की आज़ादी दें.”
नंदिनी वर्मा ने बातचीत के क्रम में हमारी टीम से मुखातिब होते हुए तबस्सुम से कहा, “इससे ज्यादा ख़ुशी की बात और क्या हो सकती है कि महिला दिवस के उपलक्ष्य में ख़ुद एक महिला अन्य महिलाओं का ओपिनियन लेने निकली है, और उसका साथ देने उसके पुरूष साथी भी आये हैं…”
वहीँ ज्योति मिश्रा ने अपने संदेश में ख़ासकर वर्किंग मदर को यह कहा कि “जिस तरह हम घर के बाहर अपने कार्यक्षेत्र में पूरी संजीदगी से कार्यों को अंजाम देते हैं ठीक उसी तरह घर और बच्चों को संभालना भी उतना ही ज़रूरी है. अपने बच्चे की अच्छी परवरिश हर महिला का दायित्व है चाहे वो हाउसवाइफ हो या वर्किंग वुमन. बच्चे अच्छे संस्कार सीखेंगे तभी बड़े होकर समाज की हरएक महिलाओं की रिस्पेक्ट करेंगे.”
कोरोना काल में जब लोग बहुत ज़रूरी काम से भी घर के बाहर निकलने से कतरा रहे थें, शहर में वर्क फ्रॉम होम का कल्चर तेजी से पनप रहा था, ऐसे में सविता फील्ड रिपोर्टिंग कर रही थीं, विभिन्न राज्यों से लौट रहे बिहारी कामगार मजदूर भाइयों की आपबीती सुन रही थीं, कड़ी धूप में भी बस अड्डे और रेलवे स्टेशन की दौड़ लगा रही थीं.
आरजे बरखा ने बोलो ज़िन्दगी के माध्यम से अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर एक सार्थक संदेश देने के क्रम में मजाकिया लहजे में ही सही लेकिन बहुत पते की बात कही कि “हम महिलाओं जिस दिन ‘पुरुष दिवस’ मनाएंगी और सराहनीय कार्य करनेवाले पुरुषों को ढूंढ़ ढूंढ़कर जब हम महिलाएं सम्मानित करेंगी सही मायनों में तब ही हमारी जीत होगी.”
प्रीति सिंह लगभग 12 साल से पत्रकारिता करती आ रही हैं. अभी ये यूक्रेन में फंसे बिहारी बच्चों को वापस लाने में सराहनीय भूमिका निभा रही हैं. बच्चों और उनके अभिभावकों की पीड़ा, उनकी वाज़िब चिंता को जिलाधिकारी तक पहुंचाने के सार्थक प्रयास में लगी हुई हैं.