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“बंधवा लो राखी, खा लो मिठाई और तोहफे में भइया ये वचन तुम हमें देना, जैसे करते हो मेरी इज्जत वैसे ही गैर लड़कियों को भी रिसपेक्ट तुम देना. तुम्हारे इस तोहफे से देखना...
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पहली बार खुद से अपनी जरुरत का सारा सामान खरीदी थी : रितु तिवारी
“घर से दूर नया ठिकाना अब यही खुशियों का आशियाना, वो दोस्तों के संग हुल्लड़पन वो नटखट सा मेरा बचपन, हाँ अपनी यादें समेटकर गलियों की खुशबू बटोरकर दुनिया को दिखाने...
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ग्रूमिंग के दौरान नर्वस हो जानेवाली अल्का सिंह ऐसे बनीं ‘स्रिया मिस इण्डिया 2017’ की सेकेण्ड रनरअप
उसके पास हुनरवाले पंख थें लेकिन उसे उड़ने के लिए मुकम्मल आसमान नहीं मिल रहा था. लेकिन एक दिन धुंध के बादल छटें तो उसे सफलता का नीला आसमान नज़र आ गया. फिर क्या था वह...
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मैं बिना दहेज़ के एक आईएएस बेटे की बहू बनी थी : डॉ. पूर्णिमा शेखर सिंह, प्रोफेसर एवं एचओडी (ज्योग्राफी डिपार्टमेंट), ए.एन.कॉलेज, पटना
मेरा मायका पटना तो ससुराल विद्यापति नगर के पास चमथा गांव में है. ऐसे देखा जाये तो हमारा ससुराल बेगूसराय है लेकिन वो गाँव चार जिलों का बॉर्डर छूता हुआ है. हम 5 भाई-बहन हैं...
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स्कूल बंक करने पर पापा बेल्ट से पिटाई करते थें : लक्ष्मी रतन शुक्ला, युवा एवं खेल मंत्री, प. बंगाल
मेरा जन्म हावड़ा (प.बंगाल) में हुआ. पिताजी यू.पी. से बिलॉन्ग करते हैं. मेरी खेल-कूद में इतनी व्यस्तता रही कि 10 वीं के बाद नहीं पढ़ पाया. हम साधारण परिवार से थें. हर आदमी क...
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