लड़की का एम.एम.एस. वायरल करने की बीमार मानसिकता का जिम्मेवार कौन ?

लड़की का एम.एम.एस. वायरल करने की बीमार मानसिकता का जिम्मेवार कौन ?

बहस
By: Rakesh singh ‘sonu’

सोशल मीडिया पर लड़कियों के वायरल किये एम.एम.एस. देखकर जहाँ सभ्य समाज घृणा और क्रोध से भर उठता है वहीं सोचनेवाली बात है कि ऐसे में पीड़ित लड़कियों की मनोदशा क्या होगी? सिर्फ ऐश-भोग को ही जीवन का पर्याय माननेवाले युवाओं की इन कारगुजारियों के चलते ना सिर्फ एम.एम.एस. प्रकरण से बदनाम हुई लड़की बल्कि उसके माँ-बाप,भाई-बहन,नाते-रिश्तेदार सभी तो प्रताड़ित होते हैं.शायद इसलिए भी कि पीड़ित लड़की के प्रति कोई सहानुभूति ना दिखाकर ये समाज खुद तमाशबीनो की श्रेणी में जो आ खड़ा होता है. तो ऐसे में हम लड़की का एम.एम.एस. वायरल करने की बीमार मानसिकता का जिम्मेवार किसे मानें?  आइये जानते हैं इसपर समाज के जागरूक लोगों के क्या मत हैं –

 

आम्रपाली दुबे,भोजपुरी फिल्म अभिनेत्री – ऐसे घृणित कार्य के जिम्मेवार सिर्फ बीमार मानसिकता के व्यक्ति ही होते हैं. उनके अंदर अनुवांशिक विसंगति भी हो सकती है. ऐसे लोग प्यार की गहराइयों में उतर ही नहीं सकतें. अगर उतर भी जाएँ तो खतरनाक हो जाते हैं. ऐसे बीमार लोगों के लिए औरत सिर्फ मन बहलाने की चीज होती है. ऐसे में वे किसी कि बहु-बेटियों को भला क्या रिस्पेक्ट दे पाएंगे. किसी भी लड़की को ऐसे बीमार लोगों और उनकी ऐसी ओछी हरकतों का सामना निडर होकर करना चाहिए ताकि किसी दूसरे आदमी को ऐसा कुछ करने की हिम्मत ना हो. ना ही किसी और लड़की को ऐसी शर्मनाक हरकत का सामना करना पड़े. मैं देश की लड़कियों से यही कहना चाहूंगी कि वे खुद को सुरक्षित रखते हुए क्रांतिकारी सोच के साथ आगे बढ़ें.






ज्योति थपलियाल, पूर्व एंकर / एसोसिएट सीनियर प्रोड्यूसर, इंडिया टीवी – सिर्फ एम.एम.एस. वायरल करना ही नहीं बल्कि एम.एम.एस. बनाना भी अपने आप में बीमार मानसिकता है. बनानेवाले ने विकृत मानसिकता के तहत एम.एम.एस. बनाया, लेकिन वायरल करने के पीछे हज़ार हाथ और हज़ार आँखें हैं. लड़की का एम.एम.एस. बनानेवाले के सर पर पाप का ठिकरा डालकर एम.एम.एस. को वायरल करनेवाले स्वयंम को दोषी कहाँ मानते हैं ! हर एम.एम.एस. उनके लिए एंटरटेनमेंट होता है, कुछ सनसनीखेज. वैसे भी जिस लड़की के चरित्र पर एम.एम.एस. का दाग लग गया है उसके चरित्र हनन का सर्टिफिकेट सभ्य समाज के पास आ ही जाता है. हम उस युग में हैं जहाँ झूठ और फेक वीडियोज भी जबरदस्त वायरल हो रहे हैं. ऐसे में लड़की का रियल एम.एम.एस. वायरल होने से रोक पाना मुश्किल है. इसे भाषणों से नहीं बदला जा सकता. ये वायरल ज़हर हवा में घुल गया है, इसे स्वक्ष करने  के लिए बदलाव की सुनामी चाहिए.



मनोज भावुक,क्रिएटिव डायरेक्टर,एस्सेल विज़न एवं राइटर, जी टीवी,मुंबई – सारा दोष परवरिश और संस्कार का है. लड़कियों का एम.एम.एस. वायरल करनेवाले फिल्म डर या बाज़ीगर के हीरो टाइप फ्रस्टेड  युवा हैं जो इक्छा की पूर्ति नहीं होने पर डिस्ट्रक्टिव हो जाते हैं. उनकी नहीं हुई या उनको नहीं मिली तो बर्बाद कर देंगे टाइप. कोई नॉर्मल आदमी किसी भी लड़की का अश्लील एम.एम.एस. बना ही नहीं सकता. उसे वायरल नहीं कर सकता क्यूंकि उसी वक़्त उसे अपनी माँ,बहन, बेटी का चेहरा याद आ जायेगा. ये वो बीमार लोग हैं जिनकी कहानियां न्यूज़ पेपर्स या क्राइम मैगजीन्स में आती हैं कि इन्होने अपनी बहन- बेटी या चाची-मामी का रेप कर दिया. इनके लिए हर औरत एक वस्तु है. एक बात और कहना चाहूंगा कि इन सब चीजों पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. इन्हें धर्म से जोड़कर भी नहीं देखा जाना चाहिए कि अपराधी का धर्म क्या है?क्यूंकि ये मामला धर्म का नहीं सोच का है.

 

रिंकू झा,रिपोर्टर,प्रभात खबर– मुझे लगता है इसके लिए एम.एम.एस. बनानेवाले के साथ लड़की भी जिम्मेदार है. क्यूंकि हमें ये सोचना चाहिए कि हम किससे दोस्ती करें किससे नहीं. आज बिना सोचे समझे फेसबुक पर हमें फ्रेंड रिकवेस्ट आते ही दोस्ती हो जाती है. और ये दोस्ती महज 2  से 3 हफ्ते  में बेडरूम तक पहुँच जाती है. अचानक से एक लड़की किसी अजनबी पर इतना भरोसा कैसे कर लेती है? अब कोई भी बात किसी से ना छुपी है और ना हम अनजान हैं. दोस्ती करने में दिक्कत नहीं है.  लेकिन ऐसे में लड़कियों को कुछ भी सतर्क रहकर करना चाहिए. जो लोग ऐसे अश्लील वीडिओ बनाते हैं उनमे से कई पढ़े लिखे और टेक्नोलॉजी के मास्टर भी होते हैं लेकिन फिर भी वे अपने ज्ञान और टेक्नोलॉजी का गलत इस्तेमाल करते हैं. उन्हें इस बात का भी डर नहीं रहता कि अगर पकड़े जायेंगे तो उन्हें सजा भी मिलेगी.


आनंद पाठक, राष्ट्रिय कार्यकारिणी सदस्य, सांस्कृतिक प्रकोष्ठ भाजपा – समाज में कुछ लोगों की विकृत मानसिकता ही इसकी जिम्मेदार कही जाएगी.लोगों में- समाज में जागृती और शिक्षा का आभाव , लड़के -लड़कियों में फर्क, इंटरनेट का गलत उपयोग एवं सिनेमा का गिरता स्तर भी कुछ हद तक इसके लिए जिम्मेदार है. सबसे पहले हमें समाज में जागृति लानी होगी, लोगों को शिक्षित करना होगा खासकर युवा वर्ग को झकझोड़ना होगा कि तुम पर ही देश का भविष्य है, तुम्हें करना क्या है और तुम कर क्या रहे हो…?





सुधा सिंह राठौड़, राष्ट्रिय अध्यक्ष, राष्ट्रिय महिला सेना – ऐसा कुकृत्य करनेवाले युवाओं को क्षमा तो हरगिज नहीं किया जा सकता, मगर इसके लिए बहुत हद तक खुद लड़कियां भी दोषी हैं. अगर वे सतर्कता के साथ कोई मौका ही ना दें तो ऐसी शर्मनाक हरकतों पर बहुत हद तक लगाम लग जाएगी. अधिकांश मामलों में देखा गया है कि खुद लड़की की सहमति से उनके बॉयफ्रेंड उनके अश्लील एम.एम.एस. बना लेते हैं और उनसे ब्रेकअप होते ही वो वीडिओ वायरल कर उसे बदनाम कर देते हैं. इसके अलावा सुनसान जगहों पर प्रेमी जोड़े पकड़ लिए जाने पर भी ज्यादा खामियाजा लड़की को ही भुगतना पड़ता है. ऐसे में लड़कियों को साथी के साथ किसी भी सुनसान जगह पर जाने और प्यार के नाम पर साथी की गलत डिमांड पूरी करने से बिलकुल ही बचना चाहिए.

 

About The Author

'Bolo Zindagi' s Founder & Editor Rakesh Singh 'Sonu' is Reporter, Researcher, Poet, Lyricist & Story writer. He is author of three books namely Sixer Lalu Yadav Ke (Comedy Collection), Tumhen Soche Bina Nind Aaye Toh Kaise? (Song, Poem, Shayari Collection) & Ek Juda Sa Ladka (Novel). He worked with Dainik Hindustan, Dainik Jagran, Rashtriya Sahara (Patna), Delhi Press Bhawan Magazines, Bhojpuri City as a freelance reporter & writer. He worked as a Assistant Producer at E24 (Mumbai-Delhi).

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